डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली
सावन और माँ का आँगन - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
शुक्रवार, जुलाई 21, 2023
मुस्कान खिली ऋतु पावस मुख, आनंद मुदित मधु श्रावण है।
फुलझड़ियाँ बरखा हर्षित मन, नीड भरा माँ का आँगन है।
महके ख़ुशबू बरसात घड़ी, भारत माटी जग पावन है।
हरितिम पादप घर आँगन में, खिले कुसुम सुरभि मनभावन है।
रिमझिम फुहार लखि बरखा माँ, ममता करुणामय आँचल है।
सन्तान सफलता सावन सुख, बरसे ख़ुशियाँ घर आँगन है।
त्यौहारों से सज सावन घन, शिव पूजन शुभ आराधन है।
माँ भक्ति भाव शिव वन्दन रत, शिवलिंग बनाती आँगन है।
घन-घन बरसी बारिश सघन, बचपन छप-छप जल सावन है।
जलमग्न सावनी बरखा में, श्यामला भारती आँगन है।
लालित्यपूर्ण शुभ प्रकृति धरा, उर्वरा शस्य फल कानन है।
कजरी मल्हार गीत भावन, चहुँ गूंजित भारत सावन है।
बलिदान शौर्य नित वीर विजय, जयगान अमर यश गायन है।
उच्छल तिरंग सागर तरंग यौवन उमंग सम सावन है।
बरसे वर्षा जीवन हर्षा, आज़ाद महोत्सव पावन है।
वर्षों अर्पण जीवन तर्पण, स्वाधीन राष्ट्र सुख साधन है।
हम संघ शक्ति संघर्ष मुदित जाति धर्म विविध रस भावन है।
सौहार्द्र प्रेम सहयोग वृष्टि, बरसे विज्ञान सनातन है।
सौगंध राम घनश्याम शपथ, भारत शिव शक्ति सुहागन है।
अरुणाभ प्रगति मानक पावस, कल्याण जगत जल सावन है।
रिमझिम फुहार भारत वंदन, जयहिंद गान जन भावन है।
गणतन्त्र गान संविधान मान, बन राष्ट्र गीत माँ वन्दन है।
वन्देमातरम् गूंजा सावन, भारत जनमत अभिनंदन है।
माँ मातृ नयन बरसे अश्कों, वात्सल्य स्नेह दिल आँगन है।
कोमल किसलय पावस पादप खिलता फुहार जल सावन है।
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