संदेश
ऋतुओं की रानी वर्षा ऋतु - कविता - राघवेंद्र सिंह
मेघ चले हैं बनकर वाहक, वसुधा प्यास बुझाने को। मृदुल स्वप्न ने दिया निमंत्रण, वर्षा ऋतु के आने को। हरी भरी वह संध्या कहती, आने वाली नई …
बरसो बदरा धरती प्यासी - कविता - अनूप अंबर
बरसो बदरा धरती प्यासी, देख कृषक की ज़रा उदासी। सब मंगलमय हो जाएगा, यदि गर्ज-गर्ज के तू गाएगा। अम्बर कृषक निहार रहा है, तुम्हें बारंबार …
बादल आओ - कविता - राजेश 'राज'
वर्षा की जलधार लिए वारि कणों की फुहार लिए श्यामल बादल आ जाओ अपना प्रेम उड़ेलो सब पर सब में जीवन भर जाओ श्यामल बादल आ जाओ। वृक्षों की त…
देखो-देखो सावन है आया - कविता - सुनील कुमार महला
झम-झम बरसे मेघ, तरूओं के भीगे तन, भीगे हरेक आज मन देखो-देखो सावन है आया! चम-चम चमके बिजलियाँ, झूम रहे तन और झूम रही सारी वनस्पतियाँ दे…
देख सजनी देख ऊपर - गीत - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
देख सजनी देख ऊपर। इंजनों सी दड़दड़ाती, बम सरीखी गड़गड़ाती। रेल जैसी धड़धड़ाती, फुलझड़ी सी तड़तड़ाती॥ पल्लवों को खड़खड़ाती, पंछियों को …
बारिश - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
रिमझिम-रिमझिम बारिश की बुँदे आकाश लोक से आई है, धरा भी इनका प्रथम स्पर्श पाकर लगता है कुछ-कुछ शर्माई है। फूलो और पत्तों पर टप-टप लागे …
बादल मगन हो गए - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
बरसता पानी ख़ूब, बादल मगन हो गए। हैं कर रहीं लहरें उत्पात। पावस की हुई बहुत बिसात॥ उजड़ जाए है ऊब, बादल मगन हो गए। धरा हो गई पानी-पानी।…