संदेश
प्रेम के रूप अनेक - सरसी छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'
लेकर हाथ चाय का प्याला, खड़ी नारि सुकुमारि। खन-खन बाजे चूड़ी कंगन, पद पैजनि झंकारि॥ कमर बाँध स्वर्णिम करधनियाँ, बाजु बंद सरकार। नाक नथु…
आतुर हृदय - कविता - प्रवीन 'पथिक'
फिर एक कसक उठी है; हृदय के किसी कोने से। कब आओगे मुझसे मिलने? आलिंगन में भरने को। शांत पड़ गया था अंधड़, डूब गया ख़ामोशी के साए में। प…
प्रेम - सवैया छंद - सुशील कुमार
प्रेम न होत जो भ्रात को भ्रात से तौ पद त्राण न राज चलाते। प्रेम न होत जो भक्त से ईश को तौ शबरी फल जूठ न खाते॥ प्रेम न होत जो राम को सी…
प्रेम - कविता - रोहित सैनी
प्रेम! धूप है हमारे चेहरे की... सितारों की जग-मगाहट, जिसमें... सब कुछ सुंदर दिखता है शीतल, शांत, मद्धम रौशनी है चाँद की। प्रेम... हमार…
याद आते हो तुम - गीत - सूरज 'उजाला'
याद आते हो तुम, याद आते हो तुम जब कभी आँख से दूर जाते हो तुम व्हाट्सएप पे वो एसएमएस जो देखा सबा कुछ तो लिखते हो और फिर मिटाते हो तुम म…
भाव हमारे - गीत - प्रमोद कुमार
उठे जो मन में तुम्हारी ख़ातिर, सदा पवित्र थे भाव हमारे। ना जाने कैसे सहा था हमने, अक्खड़पन भरे ताव तुम्हारे। जीवन पथ पर है कैसे चलना, क़…
प्रेम कविता - कविता - कार्तिकेय शुक्ल
मैं लिखना चाहता हूँ एक अच्छी प्रेम कविता पर आड़े आ जाता है तुम्हारा प्रेम तुम्हारा प्रेम यानी कि जो सिर्फ़ मेरा और मेरा है जिस पर सिर्…