संदेश
अधूरी कविताएँ - कविता - प्रवीन 'पथिक'
आख़िरी साँसों तक पूर्ण नहीं होता जीवन का उपन्यास। कुछ शेष रह जाती हैं, प्रेम कविताएँ; छंद नहीं बनते उस क्षण के, टूट जाती हैं महत्वाकांक…
इक देवी ने इस दिल को देवालय कर डाला - कविता - धीरेन्द्र पांचाल
मैंने अपनी जान हथेली पर उसके कर डाला इक देवी ने इस दिल को देवालय कर डाला काश की मिल पाता मैं उनसे हाल दिलों के गाता काश की इस बंजर धर…
एक ख़ुशनुमा शाम - कविता - प्रवीन 'पथिक'
इसी नदी के किनारे एक ख़ुशनुमा शाम सूर्य लालिमा लिए छिप रहा था। संध्या के आँचल में, चिड़ियों का कलरव, झिंगुरों की झंकार दूर एक झाड़ी से …
तुम्हीं तो हो - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर सुबह मेरे ख़्वाबों में आकर मुझे अपनी सुगंधों से भर देने वाली तुम ही तो हो। तुम्हारा आहट पाकर ही तो, पंछी बोलते हैं, फूल खिलते हैं, भ…
पाकर तुमको, हमारी क़िस्मत क्या होगी - ग़ज़ल - सुनील खेड़ीवाल 'सुराज'
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़े तक़ती: 22 22 22 22 22 2 पाकर तुमको, हमारी क़िस्मत क्या होगी, है तो ख़्वाब हसीन, हक़ीकत क्…
प्रेम रहा भरपूर - कविता - द्रौपदी साहू
आँधी आई चला गया वो, छोड़ प्रिये को दूर। इक था राजा इक थी रानी, प्रेम रहा भरपूर॥ कैसे ढूँढे़? किससे पूछे? पता बताए कौन? रुकती ना आँसू आ…
काश! - कविता - प्रवीन 'पथिक'
बहुत दिन हुए उनसे मिले हुए, देखा नहीं बहुत दिनों से। बात तो फाल्गुन के पहले बयार से ही शुरू हुई थी। मिले, आषाढ़ के पहली बारिश में। भीग…
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