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विधा/विषय "प्रदूषण"
मानवीय प्रदूषण - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
मंगलवार, नवंबर 21, 2023
आँखों को वह अब नोच रहा, मानव! अब भी क्या सोच रहा? तेरे ही हठ का कारण यह, है ख़तरनाक उच्चारण यह। वह कलयुग का खर दूषण है, मानव! वह '…
प्रदूषण - कविता - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
शुक्रवार, नवंबर 12, 2021
जिधर देखिए प्रदूषण प्रदूषण, धरती वहीं आसमाँ भी वही, चाँद तारे सूरज भी वही, हवा वो मगर कहाँ खो गई? भूल हमसे कहाँ हो गई? नदियाँ वही आज न…