संदेश
पर्यावरण संरक्षण - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
निज राष्ट्र की पुनीत पावन धरा को, मिलकर हरियाली से प्रफुल्ल बनाएँ। पर्यावरण संरक्षण में हम दे योगदान, प्रकृति के प्रति आत्मकर्तव्य निभ…
पर्यावरण - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
पर्यावरण है प्रकृति का आखर, सूरज, चंदा, धरती और बादर। प्रकृति का अद्भुत चहुँदिशि घेरा, चंदा डूबा फिर हुआ सवेरा। कौन इन सबसे अनजाना होग…
हरी भरी हो धरती अपनी - कविता - बृज उमराव
हरी भरी हो धरती अपनी, देती जीवन वायु। पथ में पथिक छाँव लेता हो, शुद्ध करे स्नायु॥ तापान्तर में वृद्धि दिख रही, जागरूक हो जनमानस। …
ब्रह्मानंद का स्वर्ग दौरा - कहानी - अशफ़ाक अहमद ख़ां
यू॰पी॰ के कई ज़िले पिछले दिनों सूखे की चपेट में थे। किसान पूरे सावन इंद्रदेव की तरफ आशा भरी निगाहों से देखते रहे, इंद्र देव को ख़ुश करने…
पर्यावरण संरक्षण - कविता - रमाकांत सोनी
कुदरत का उपहार वन, जन जीवन आधार वन। जंगल धरा का शृंगार, हरियाली बहार वन। बेज़ुबानों का ठौर ठिकाना, संपदा का ख़ूब खजाना। प्रकृति मुस्कुरा…
प्रदूषण - कविता - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
जिधर देखिए प्रदूषण प्रदूषण, धरती वहीं आसमाँ भी वही, चाँद तारे सूरज भी वही, हवा वो मगर कहाँ खो गई? भूल हमसे कहाँ हो गई? नदियाँ वही आज न…
ग्लोबल वार्मिंग - कविता - डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी
धरती गरमा रही है तो क्या हुआ? कुछ गर्माहट आप तक पहुँची क्या? धरती गरमाने का मतलब? "ग्लोबल वार्मिंग" अंग्रेजी में? हाँ सुना त…