संदेश
रूठ गए हैं पिया हमारे - गीत - संजय राजभर 'समित'
काजल कंगन बाली झुमका, ख़ुद को ख़ूब सजाऊँगी। रूठ गए हैं पिया हमारे, उनको आज मनाऊँगी। छोटी-छोटी बातों में हम, जीवन नहीं गँवाएँगे। इस चार…
अँगूठी का निशान - कविता - शिवानी कार्की
उसके गाल पर निशान है आज शायद अँगूठी का हैं, वो ज़रा ख़ुश हैं आज अपने ऑफ़िस में, सबको बता रहा हैं शिकवा नहीं हैं उसको, बड़ा गर्व जता रहा …
मैं मान रहा हूँ हार प्रिये - गीत - संजय राजभर 'समित'
मान जाओ हे! महारानी, हम ग़लती से क्यूँ रार किए? अच्छा तुम ही जीतीं मुझसे, मैं मान रहा हूँ हार प्रिये। भोली-भाली छैल छबीली, हया से …
साथ निमाएँ उम्र भर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
दाम्पत्य प्रणय मन माधवी, माघी माह वसन्त। मनमोहन माधव मधुर, सुरभित सुमन अनन्त।। साथ निभाए उम्र भर, हम जीवन की साज। सतरंगी ग़म या ख़ुशी, प…
ग़लतफ़हमी - गीत - संजय राजभर 'समित'
सुन रे! सखी कैसे बताऊँ? बैठी हूँ मैं उलझन में। दिन तो कहा-सुनी में बीता, रात कटी है अनबन में। कैसे करूँ चैटिंग किसी से, रोज़-रोज़ शक क…
तुम्हारे बिना अधूरा हूँ - कहानी - अंकुर सिंह
"तलाक़ केस के नियमानुसार आप दोनों को सलाह दी जाती हैं कि एक बार काउंसलर से मिलकर आपसी मतभेद मिटाने की कोशिश करें।" तलाक़ केस क…
दक्षिणपंथी पत्नी, वामपंथी रोटी एवं कोविड - कहानी - रामासुंदरम
आज सुमन को कोविड पॉजिटिव हुए पाँच दिन बीत चुके थे। अभी से उसे आइसोलेशन खाए जा रहा था। जिस घर की हर ईंट उसे पहचानती थी, वहीं उसे एक कोन…