संदेश
दर्द - कविता - ब्रजेश
दिल में दर्द भरा है इतना, कोई सहे भी तो सहे कितना। गैर तो ख़ैर गैर ही थे, अपनों ने भी कहाँ समझा अपना। मैं तो अपनों ही से हूँ हारा, शायद…
दर्द पलकों में छुपा लेते हैं - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन तक़ती : 2122 1122 22 दर्द पलकों में छुपा लेते हैं, आग सीने में दबा लेते हैं। जिस्म ढकने को भले हों च…
कुछ दर्द कुछ ख़ुशी - कविता - सुनील माहेश्वरी
कुछ दर्द कुछ खुशी लिए चलो, कुछ नीरव चंचल हँसी दिए चलो, ये कारवाँ जो वक़्त के साथ चलता रहेगा, तुम हर क़दम पर रोशनी लिए चले चलो, होगी फिर …
दुःख और दर्द - गीत - पारो शैवलिनी
भूल की धूल को छांटना ही होगा। दुःख और दर्द को बांटना ही होगा। मोम से पिघलते ये रिश्ते ओ नाते, झूठी-झूठी कसमें, झूठे-झूठे वादे, विष भरे…
किसान का दर्द - मुक्तक - संजय राजभर "समित"
यह स्वेद सिंचित अनाज के दाने हैं। क्षुधा तृप्ति का यही मान्य पैमाने हैं। किसान की पीड़ा भला कौन सुना है इस बात पर नेता बड़े सयाने…
दर्द क्यों देते हो - कविता - उमाशंकर मिश्र
दर्द ने दर्द से पूछा कि क्यों दर्द देते हो इंसानों को? मिला जबाब पहाड़, पेड़, पौधे को रौद कर नाश कर दिया किसानों को। नदियों मे प्रदुषण, …
एक वीर-वधू के दर्द और तेवर - कविता - बजरंगी लाल
तिरंगे में हुआ लिपटा मेंरा अरमान जा रहा है, रचायी थी मैं जिसके नाम की मेंहदी, रचायी थी मैं जिसके नाम की मेंहदी- बिना देखे कहाँ वो…