संदेश
विधा/विषय "दर्द"
दर्द - कविता - सलिल सरोज
मंगलवार, अगस्त 04, 2020
दर्द को भी नदी की तरह बहना आना चाहिए वर्ना एक जगह पर जमा होकर यह दर्द, कीचड़ बन जाता है जो गीला हो या सूखा है बस केवल बदबू देता …
दर्द - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
मंगलवार, जून 23, 2020
दर्द के गाँव में आशियाना मेरा । अश्क़ से ख़ास है दोस्ताना मेरा।। जिसपे था घोंसला वो शजर कट गया, दर-व-दर हो गया फिर ठिकाना मेर…
हक़ीक़त तो कुछ और थी - कविता - कुमार सौरव
मंगलवार, मई 05, 2020
आज मालूम पड़ा गनीमत हक़ीक़त तो कुछ और थी तेरे हर एक अश्क़ की सूरत तो कुछ और थी यू सासों का थमना रूह जा तिलमिल…