कुछ दर्द कुछ ख़ुशी - कविता - सुनील माहेश्वरी

कुछ दर्द कुछ खुशी लिए चलो,
कुछ नीरव चंचल हँसी दिए चलो,
ये कारवाँ जो वक़्त के साथ चलता रहेगा,
तुम हर क़दम पर रोशनी लिए चले चलो,
होगी फिर शुरूआत अन्तोदय,
तुम राग से इज़हार किए चले चलो,
कुछ दर्द कुछ ख़ुशी लिए चले चलो।
शमा भी बदलेगा एक दिन ज़रूर,
तुम रूख़ समीर सा ओढ़ बढे़ चले चलो।
कुछ दर्द कुछ ख़ुशी लिए चले चलो।
हैरान है दास्ताँ हैरान है हमराही,
सफ़र-ए-वास्ता बस हँसते चले चलो।
कुछ दर्द कुछ ख़ुशी लिए चले चलो।

सुनील माहेश्वरी - दिल्ली

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