रचायी थी मैं जिसके नाम की मेंहदी,
रचायी थी मैं जिसके नाम की मेंहदी-
बिना देखे कहाँ वो मेंरा अभिमान जा रहा है,
मेरे हाथों का कंगन, मेंरे माथे की बिन्दिया,
और सिन्दूर का निशान जा रहा है।
कोई तो रोक लो आकर, कोई तो रोक लो आकर,
तुम्हारे हिन्द का फिर एक और जवान जा रहा है।
एक शहीद की पत्नी अपने बेटे से क्या कहती है:-
मैं कहती हूँ कि बेटा अब तिरंगा आन है तेरी,
मैं कहती हूँ कि बेटा अब तिरंगा शान है तेरी,
बड़ा होकर तुझे तो अब, बड़ा होकर तुझे तो अब,
वतन की लाज है रखना, वतन की लाज है रखना,
मैं कहती हूँ कि बेटा अब यही पहचान है तेरी।
दिखाए आँख जो तुझको वो आँखें फोड़ना है अब,
मिले दुश्मन जो सम्मुख तो पसलियाँ तोड़ना है अब,
तुम्हें तो दो-दो माँओं का, तुम्हें तो दो-दो माँओं का,
बदला डटकर लेना है, बदला डटकर लेना है,
किया आघात है जिसने, उसे ना छोड़ना है अब।
बजरंगी लाल - दीदारगंज, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)