संदेश
विधा/विषय "त्रिभंगी छंद"
पन्द्रह अगस्त - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
मंगलवार, अगस्त 15, 2023
आ जोड़ ले हस्त, पन्द्रह अगस्त, शुभ दिन अपना, आया है। स्वतंत्रता का दिन, शहीद अनगिन, तब जाकर यह, पाया है। ऑंखें भर आती, याद दिलाती,…
प्रेम की भाषा - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
शनिवार, दिसंबर 03, 2022
अंतः से बोलो, मधु रस घोलो, प्रेम सरल हो,धाम करें। ममता की भाषा, सबकी आशा, पशु भी समझे, काम करें॥ परखते हैं खरा, समझो न ज़रा, प्यार तो त…
वो बारिश का दिन - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर "समित"
मंगलवार, जून 29, 2021
वो बारिश का दिन, रहे लवलीन, काग़ज़ी नाव, अच्छे थे। हम बच्चों का दल, देखते कमल, लड़ते थे पर, सच्चे थे। लड़कपन थी ख़ूब, कीचड़ में सुख, समय…
बीता सावन - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर "समित"
शनिवार, सितंबर 19, 2020
करके हरियाली, छटा निराली, बीता सावन पावन था। नदियाँ मतवाली, घटा कराली, झिलमिल करता भावन था।…
हनुमत स्तुति - त्रिभंगी - प्रशांत अवस्थी
मंगलवार, सितंबर 01, 2020
हे हनुमत प्यारे, जग रखवारे, नाम उचारे, आ जाओ। संकट गहराया, मन घबराया, तुम्हें बुलाया, आ जाओ। शोकनिवारणाय, लोकपूज्याय, रामभक्ताय, भ…
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