संदेश
जीवन - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
तन में है अगन जीने की, इच्छा का तिल-तिल मरना। सत्य-पोश लोगों का, यूँ पल-पल रोज़ बदलना। कहा-सुना सब त्यागे? और ख़ुद से कहना सीखें। जीवन क…
ज़िंदगी इक खेल है - कविता - इन्द्र प्रसाद
ज़िंदगी इक खेल है अनुपम खिलौना चाहिए। सुख यहाँ पर हो न हो पर दुख होना चाहिए॥ फूल भी हैं शूल भी जीवन सरीखे बाग़ में, हम उन्हीं के मध्य जी…
किसी की ज़िन्दगी क़ायम नहीं है - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : मुफा़ईलुन मुफा़ईलुन फ़ऊलुन तक़ती : 1222 1222 122 किसी की ज़िन्दगी क़ायम नहीं है, मगर जो आज है हरदम नहीं है। किसी से पूछिए…
ऐ ज़िंदगी! तू सहज या दुर्गम - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
सही कहती थी अम्मा (मेरी माँ)– यूँ बात-बात पर ग़ुस्सा ठीक नहीं। इक दिन तो बढ़नी से पीटा गया। अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी नहीं चलती, झुकना और सहन…
तुम अजेय हो - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
सुनो! स्वयं के विश्वासों पर, ही जगती में टिक पाओगे। गांँठ बाँध लो मूल मन्त्र है, यही अन्यथा मिट जाओगे॥ साहस-शुचिता से भूषित तुम, धरत…
हो सफल सकल अभिलाष सफ़र - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
आग़ाज़ सुपथ संकल्प अटल, पुरुषार्थ सुगम बन जाता है। उल्लास नवल धीरज संयम, साफल्य मधुर मुस्काता है। अरुणाभ समुन्नत सोच शिखर, विश्वास ध्…
जीवन यही है - कविता - सुनील कुमार महला
जब वो ज़िंदा थी, तो घर आँगन महकता था उसकी बातों से बहता था झरना घुलता था शहद आबोहवा में अब उसका सिंहासन छिन गया है दूर जा बैठी है कहीं…