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ड्यूटी - कहानी - डॉ॰ कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
बड़ी सजकता से बोर्ड परीक्षा में कक्ष निरीक्षक की ड्यूटी कर रहा था। मैंने पहले ही मन मे ठान लिया था कि आज किसी हो हिलने का मौक़ा नहीं दूँ…
एहसास - कहानी - आशीष कुमार
मल्होत्रा परिवार की लाडली पद्मिनी उर्फ़ पम्मी ख़ुश-मिज़ाज लड़की थी। सुंदरता ऐसी की चाँद भी शरमा जाए। गोल मटोल मासूम सा चेहरा। आँखों से जै…
सौ के नोट - कहानी - हर्ष वर्धन भट्ट
परकोटे से निकलकर चौदह वर्ष का उमा जैसे ही अपने बाप के डर से आम रास्ते पर आया, तो मस्ती में गुनगुनाता चलने लगा। कभी वह रास्ते पर पड़ी कं…
बिन बुलाया मेहमान - कहानी - आशीष कुमार
वह आता है। रोज़ आता है। बिन बुलाए आता है। वह जो मेरा कुछ भी नहीं लगता पर मेरा बहुत कुछ है। उसे देखे बिना मैं नहीं रह सकता। वह यह बात जा…
भ्रष्टाचार बहुत है - कहानी - अंकुर सिंह
राजू और उसके दोस्तों जैसे ही स्टेशन पर पहुँचे उन्हें पता चला कि ट्रेन दो घंटे लेट हैं। उसके बाद वह सभी दोस्त एक बेंच पर बैठे अपने स्मा…
वह अपना-सा - कहानी - अनुराग उपाध्याय
वैसे तो शिमला की घाटी, वहाँ की वादी, वहाँ का गायन, वहाँ की सुंदरता आदि न केवल भारत में अपितु संसार भर में चर्चित और लोकप्रिय है। लेकिन…
पंच से पक्षकार - कहानी - अंकुर सिंह
हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आख़िरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। दोनों ने आपसी सहमति से रामनगर चौराहे वाली …
पच्चीस हज़ार का जूस - कहानी - अनुराग उपाध्याय
ग़ुस्सैल सूरज, गरम हवाएँ, आग बरसाती धरती और नेताओं के दिमाग़ की तरह बेहोश हुआ पंखा, आते जाते आदमियों के हाथ से फ़ाइल लेना और फिर उन्हें ट…
तुम्हारे बिना अधूरा हूँ - कहानी - अंकुर सिंह
"तलाक़ केस के नियमानुसार आप दोनों को सलाह दी जाती हैं कि एक बार काउंसलर से मिलकर आपसी मतभेद मिटाने की कोशिश करें।" तलाक़ केस क…
हृदय परिवर्तन - कहानी - अंकुर सिंह
"अच्छा माँ, मैं चलता हूँ ऑफ़िस आफिस को लेट हो रहा है। शाम को थोड़ा लेट आऊँगा आप और पापा टाइम से डिनर कर लेना।" अंकित ने ऑफ़ि…
आईना - कहानी - अंकुर सिंह
"बेटा सुनील, मैंने पूरे जीवन की कमाई नेहा की पढ़ाई में लगा दी, मेरे पास दहेज में देने के लिए कुछ भी नहीं है।" शिवनारायण जी न…
दक्षिणपंथी पत्नी, वामपंथी रोटी एवं कोविड - कहानी - रामासुंदरम
आज सुमन को कोविड पॉजिटिव हुए पाँच दिन बीत चुके थे। अभी से उसे आइसोलेशन खाए जा रहा था। जिस घर की हर ईंट उसे पहचानती थी, वहीं उसे एक कोन…