संदेश
हे भारत के अमर इन्दु! - कविता - राघवेंद्र सिंह | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पर कविता
हे भारत के अमर इन्दु! हिन्दी भाषा के युग-चारण। साहित्य पुरोधा, राष्ट्र प्रेम, आधुनिक गद्य के विस्तारण। हो जनक आधुनिक हिन्दी के, तुम पु…
उठो कवि - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'
फूलों की मकरंद है छाया हर्ष अपार उठो कवि इस भोर में लिखो नवल शृंगार लिखो नवल शृंगार प्रेम के इस उपवन में हो कोई न द्वंद कभी इस चंचल मन…
कविता तुम हो चिर-परिचित - कविता - राघवेंद्र सिंह
किसी अपरिचित प्रांगण में छाया-सी बनती हो श्यामल। किसी आर्द्र चितवन को आकर, वायु-सी करती हो निर्मल। स्मृतियों की प्राण निधि तुम, तुम नि…
अधूरी कविताएँ - कविता - निखिल 'प्रयाग'
सुनो- तुम्हारी कविताएँ मुझे अधूरी सी क्यों लगती है, अधूरी सी? हाँ अधूरी सी...! जैसे! जैसे उसमें अभी बहुत कुछ है लिखने को; ओह..! मतलब…
कवि का अस्त नहीं होता है - कविता - राघवेंद्र सिंह
विविध ऋचाओं को रचकर भी, कवि अभ्यस्त नहीं होता है। रवि का अस्त तो हो जाता है, कवि का अस्त नहीं होता है। हर क्षण, प्रतिपल नवल चेतना, अंत…
कवि होना - कविता - विनय विश्वा
दुनिया का सबसे बड़ा दुःख कवि होना है वह सबका दुःख ओढ़ लेता है सबके सुख की कामना करता है रचना में एक कुशल कारीगर संसार को शब्दों के रंग…
हर कविता के बाद - कविता - प्रवीन 'पथिक'
हर कविता के बाद– कवि की हत्या होती है। हज़ार मरण वह मरता है; और उसे सहर्ष स्वीकार करना पड़ता है। उसकी आत्मा हर अंतर्द्वंद्व के बाद– प्…
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर