संदेश
हिंदी का लेखक - कविता - सुरेन्द्र जिन्सी
हिंदी के लेखक कभी सही समय पर नहीं बोलते। वे तब चुप रहते हैं, जब एक पूरी जाति को उजाड़ा जा रहा होता है, जब संविधान की पीठ पर सत्ता अपनी…
लिखूँ तो मैं लिखूँ क्या - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
लिखूँ तो मैं लिखूँ क्या? जो बोले, पर मौन रहे। जो जल जैसा हो थिर-थिर, पर भीतर ही भीतर बहे। जिसमें रूप न कोई दिखे, ना कोई स्पष्ट रेखा। ज…
कविता और कवयित्री - कविता - संजय राजभर 'समित'
मैंने पूछा– "तू इतनी उदास क्यूॅं है?" तो वह अपनी आँखें झुका ली। आप बीती कैसे बयाँ करती वो आँखों से अश्कों को ही छुपा ली। मैं…
कविता - कविता - रोहित सैनी
कविता मुझे दवाई की तरह मिली सर दर्द हो या पेट दर्द या बुख़ार मैंने इसे गोली की तरह खाया और उलटी की तरह पेश आया हर बार इसके साथ अब जो कु…
हरियाली कविताएँ - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'
सागर की लहरों को उतरता देख यूँ लगता हैं जैसे कोई टूटा पंख हवा के झूले से लिपटकर कवि के हाथों को छूना चाहता हो, एक माली की तरह मैं इस ल…
हे भारत के अमर इन्दु! - कविता - राघवेंद्र सिंह | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पर कविता
हे भारत के अमर इन्दु! हिन्दी भाषा के युग-चारण। साहित्य पुरोधा, राष्ट्र प्रेम, आधुनिक गद्य के विस्तारण। हो जनक आधुनिक हिन्दी के, तुम पु…
उठो कवि - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'
फूलों की मकरंद है छाया हर्ष अपार उठो कवि इस भोर में लिखो नवल शृंगार लिखो नवल शृंगार प्रेम के इस उपवन में हो कोई न द्वंद कभी इस चंचल मन…
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