कविता और कवयित्री - कविता - संजय राजभर 'समित'

कविता और कवयित्री - कविता - संजय राजभर 'समित' | Hindi Kavita - Kavita Aur Kavyitri - Sanjay Rajbhar Samit
मैंने पूछा–
"तू इतनी उदास क्यूॅं है?"
तो वह अपनी आँखें झुका ली।

आप बीती कैसे बयाँ करती
वो आँखों से अश्कों को ही छुपा ली।

मैं कुरेदता और कैसे,
इतना नादान नहीं था।

उसकी डायरी के पन्ने पलटकर देखा,
तो  वह अपनी तकलीफ़ें
गीत ग़ज़लों में छुपा ली है।


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