दीपावली की महिमा - कविता - शरद कुमार शिववेदी

दीपावली की महिमा - कविता - शरद कुमार शिववेदी | दिवाली पर कविता | Diwali Kavita - Deepavali Ki Mahima
दीपावली आई ख़ुशियाँ झोली भरकर लाई,
पन्द्रह दिन पहले से तैयारी हो रही भाई।
मकान व दुकान की साफ़-सफ़ाई,
रंगाई-पुताई करो मेरे भाई॥

सामान की व्यवस्थित रखाई,
साज-सजावट की सुंदरता देखो मेरे भाई।
जैसे-जैसे दीपावली नज़दीक है आई,
सभी के दिलों में उत्सुकता लाई मेरे भाई॥

धनतेरस को नवीन सामग्री की खरीदी कराई,
कपड़े, दीपक, सोना, चाँदी, गाड़ी घर ले आई।
स्वदेशी सामान को अपनाई,
भारत को विश्व गुरु बनाओ मेरे भाई॥

शाम को मिट्टी के दीपक जलाई,
कुबेर भगवान की पूजा करो मेरे भाई।
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर आई,
यमराज महाराज की पूजा करो मेरे भाई॥

तृतीय दिवस ख़ूब मिठाई बनाई, 
दीपक की थाली सुंदर सजाई।
घर आंगन में रंगोली बनाई,
माता लक्ष्मी की पूजा करो मेरे भाई॥

लोगों के दिल में जगह बनाई,
नफ़रत को दूर करने मिठाई बाँटो मेरे भाई।
चतुर्थ दिवस गोवर्धन बनाई,
गाय की पूजा करो मेरे भाई॥

दीपावली लोगों को संदेश देने आई,
मानव, जीव-जंतु, प्रकृति से प्रेम करो मेरे भाई।
पंचम दिवस भाई दूज आई,
बहिन भाई के घर  चली आई॥

बहिन ने भाई को खीर खिलाई,
भाई बहिन का पवित्र प्रेम देखो मेरे भाई।
शरद ने दीपावली की महिमा बताई,
पवित्र पावन पर्व की कविता गाओ मेरे भाई॥

दीपक की रोशनी ने ख़ुशियाँ लाई, 
जीवन को अंधकार से उज्जवल बनाओ मेरे भाई।
मानव में समरसता आई,
भारत को ख़ुशहाल बनाओ मेरे भाई॥

शरद कुमार शिववेदी - छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश)

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