हे धन लक्ष्मी मेरे घर आओ - कविता - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'

हे धन लक्ष्मी मेरे घर आओ - गीत - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़' | Maa Laxmi Kavita - Hey Dhan Laxmi Mere Ghar Aao. Hindi Poem on Maa Lakshmi | माँ लक्ष्मी कविता
हे धन लक्ष्मी मेरे घर आओ
हम दुखियों का कष्ट मिटाओ
भव सागर से पार लगाओ
दर्शन दो माँ दरश दिखाओ
दर्शन दो मुझे दरश दिखाओ
हे महालक्ष्मी मेरे घर आओ...

इष्ट हमारी आराध्य तुम्हीं हो
करुणानिधि दीनदयाल तुम्हीं हो
भक्तों की इक आस तुम्हीं हो
जग की इक विश्वास तुम्हीं हो,
हे धन लक्ष्मी मेरे घर आओ...

हे कृपासिंधु हरि प्राण प्रिये
हम सेवक हैं दास तुम्हारे
तुम जननी हो मात हमारे
दया दृष्टि ज़रा हम पर डालो,
हे धन लक्ष्मी मेरे घर आओ...

हे मन को मोहित करने वाली
मोहिनी रूप ले छलने वाली
भ्रम ये माया मोह मिटाओ
अपना चतुर्भुज रूप दिखाओ
अपना दिव्य स्वरूप दिखाओ,
हे धन लक्ष्मी मेरे घर आओ...

रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़' - रीवा (मध्यप्रदेश)

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