हे सिद्धिविनायक - कविता - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'

हे सिद्धिविनायक - कविता - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़' | Shri Ganesh Kavita - Hey Siddhivinaayak. Hindi Poem on Lord Ganesha | श्री गणेश कविता
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश

प्रथम पूजते हैं सब तुझको ये नारद शारद शेष
तू भालचंद्र है गौरी नंदन विघ्न हरे सब क्लेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश

है एकदंत लम्बोदर तू तेरा सुमुख है सुंदर वेश
हर विकार व्यभिचार मिटा ईर्ष्या हो या द्वेष
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश

बुद्धि का देवता है तू देवा आराध्य इष्ट मेरा विघ्नेश
दर्शन को तेरे रहते हैं व्याकुल रावण और दिनेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश
महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश

रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़' - रीवा (मध्यप्रदेश)

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