हो जाए - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी

हो जाए - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी | Hindi Geet - Ho Jaaye - Siddharth Garakhpuri
हरारत हो ग़मों को भी
ये अक्सर ख़ुशियाँ कहतीं हैं
सजल आँखों की चाहत है
उन्हें आराम हो जाए

कहने-कहाने को पैदा हुई दुनिया
गर हम जो कुछ कह दें...
तो हम बदनाम हो जाएँ

अश्कों के हवाले से...
बहुत ज़रूरी ख़बर है सुन
सभी आ साथ बैठें फिर
छलकता जाम हो जाए

अपनी बात रखने को
तूँ दिन पर दिन जो देता है
असल बात कह दूँ तो
धुँधली शाम हो जाए

मैं दुनिया और लोगों से
अतः आजिज़ हो आया हूँ
मुझे एकांत बख़्शे सब
थोड़ा आराम हो जाए

क़िस्मत से गुज़ारिश
आख़िरकार कर ही दी मैंने
इक इच्छा ये भी थी के
मेरा भी नाम हो जाए

सिद्धार्थ गोरखपुरी - गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

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