हे राम! - कविता - प्रवीन 'पथिक'
गुरुवार, फ़रवरी 01, 2024
हे राम!
तुम्हारे जीवन की झाँकियाॅं,
मेरे अंतर्मन को
रुदन जल से अभिसिंचित कर,
कृतार्थ करती है, जो
मुझे पुण्य मार्ग के तरफ़
प्रवृत्त करती है।
हे राम!
तुम्हारी मर्यादा और प्रजा पालक धर्म,
उर की विशालता और
सद्गुणों की महानता,
संपूर्ण विश्व में
अपने मानवीय गुणों से,
जग के अंधियारे को
अपने यश से
हर लेती है।
हे राम!
तुम्हारी दयालुता और
सभी प्राणी मात्र में तुम्हारा अस्तित्व।
तुम्हारी करुणा
और तुम्हारा आदर्श जीवन।
सत्य के मार्ग को
प्रशस्त करते हैं।
जहाॅं जीवन को एक सही दिशा
प्राप्त होती है।
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