हम हैं छोटे-छोटे बच्चे - कविता - राहुल भारद्वाज

हम हैं छोटे-छोटे बच्चे,
त्यौहार हमें लगते हैं अच्छे।
स्कूल में पड़ जाते हैं अवकाश,
दिन होते हैं वो कितने ख़ास॥

पढ़ने की कोई चिंता नहीं, 
आराम करें अब हमारे बस्ते।
हम हैं छोटे-छोटे बच्चे,
त्यौहार हमें लगते हैं अच्छे॥

घर में आते हैं मेहमान,  
बनते तब नए-नए पकवान।
सारे मिलकर हम सब बच्चे,
नाचे गाए और है हँसते॥

लोग कहते हम रूप प्रभु के,
हमारे अंदर नहीं है शैतान।
झूठे नहीं हम है सच्चे,
हम हैं छोटे-छोटे बच्चे॥

त्यौहार जब-जब आते हैं,     
ख़ुशियाँ संग में लाते हैं।
छोड़ अपनी सब बुराई,
अच्छी आदत हम अपनाते हैं॥

दिवाली जब-जब आती है,   
त्यौहारों को संग में लाती है।
रोशन करना है जग में नाम, 
दीप जला हमें बताती है॥

खिलखिलाते छोटे बच्चे,  
त्यौहार हमें लगते हैं अच्छे।
गले मिले हम छोटे बच्चे,
त्यौहार हमें लगते हैं अच्छे॥

राहुल भारद्वाज - हापुड़ (उत्तर प्रदेश)

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