तुझे क्या कहूँ? - कविता - मुस्ताक अली

तू ही बता तुझे क्या कहूँ?

गुलशन की बहार कहूँ
ख़ुशियों का संसार कहूँ
ज़िंदगी का सार कहूँ
या मेरे दिल में बसा
बेपनाह प्यार कहूँ?

तू ही बता तुझे क्या कहूँ?

आसमान का सितारा कहूँ
मदहोश करने वाला इशारा कहूँ
या जन्नत का ख़ूबसूरत नज़ारा कहूँ

तू ही बता तुझे क्या कहूँ?

परियों का ख़्वाब कहूँ
ख़ुशियों की किताब कहूँ
मयखाने का शबाब कहूँ
या कायनात का सबसे हसीन गुलाब कहूँ

तू ही बता तुझे क्या कहूँ?

प्यार की आज़ादी कहूँ
चाहतों की आबादी कहूँ
दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत वादी कहूँ
या परिस्तान की दिलकश शहज़ादी कहूँ

तू ही बता तुझे क्या कहूँ?

मदभरी रात कहूँ
सबसे हसीन बात कहूँ
पूरी हो हर तमन्ना वह साथ कहूँ
यह बंजर धरती पर प्यार की बरसात कहूँ

तू ही बता तुझे क्या कहूँ?

मुस्ताक अली - सांगली (महाराष्ट्र)

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