वर्ष नया यह मंगलमय हो - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'

बाधाएँ अब नहीं सताएँ,
विपदाएँ भी नहीं डराएँ।
हार मिले न, सदा ही जय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

रोज़गार के दिखें न लाले,
क़िस्मत के खुल जाएँ ताले।
यश, वैभव, ऊर्जा अक्षय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

हर भूखे को मिले निवाला,
बंद हो भ्रष्टाचार-घोटाला।
नहीं किसी को कोई भय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

लाभ-हानि से न घबराएँ,
मेहनत की ही रोटी खाएँ।
जीवन में सुख का संञ्चय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

घर-आँगन में ख़ुशियाँ आएँ,
समरसता का गीत सुनाएँ।
जिनमें भरी प्रेम की लय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

बँटवारे की ढहें दीवारें,
रिश्तों में न पड़ें दरारें।
द्वेष, कलह, ईर्ष्या का क्षय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

भेदभाव का नाम मिटाएँ,
राष्ट्रधर्म को हम अपनाएँ।
ऐसा मन में दृढ़ निश्चय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

क्या खोया है, क्या है पाना,
नया हमें है कुछ कर जाना।
क्या करना है पहले तय हो,
वर्ष नया यह मंगलमय हो॥

देवेश द्विवेदी 'देवेश' - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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