मेरा मान - कविता - महेश कुमार हरियाणवी

कोई सर पर उड़ता यान है,
कोई कारीगर करवान है।
कोई मिट्टी की पहचान है,
कोई चौखट का अभिमान है।

कोई शिक्षा में गुणवान है,
कोई सरकस की कमान है।
कोई खेलों का मैदान है,
कोई सीमा पे गलवान है।

कोई भक्ति में परवान है,
कोई सामाजिक समाधान है।
कोई इतिहासों का गान है,
कोई लिखता कलमी ज्ञान है

कोई व्यापारी ईमान है,
कोई मज़दूरी का मान है।
कोई दुग्ध की दुकान है,
कोई हरियाली खलियान है।

कोई पद्धति का निर्माण है,
कोई घर का रखता ध्यान है।
हर उँगली का बलिदान है,
बंद मुठ्ठी हिंदुस्तान हैं।।

महेश कुमार हरियाणवी - महेंद्रगढ़ (हरियाणा)

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