स्वतंत्र देश में आया गणतंत्र,
आओ मिलकर ख़ुशी मनाएँ।
वासंती परिधान पहन कर,
मातृभूमि पर बलि-बलि जाएँ।
ऋतुराज भी स्वागत में देखों,
रंगीन फूलों को भर लाएँ।
भारत माँ की अखंडता को,
अब कोई आँच न आने पाएँ।
चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम,
सब मिल-जुल ख़ुशी मनाएँ।
युवा वर्ग भी आगे आकर,
उत्साह से क़दम बढ़ाएँ।
बहा रक्त दी क़ुर्बानी जिसने,
वंदन उनको हम कर जाएँ।
देश के दुश्मनों को आज,
हम सब मिलकर दूर भगाएँ।
अमर शहीदों की क़ुर्बानी,
देखो व्यर्थ न जाने पाएँ।
उनके बलिदानों की गाथा,
आओ अब हम मिलकर गाएँ।
नील गगन में दूर-दूर तक,
तिरंगा लहर-लहर लहराएँ।
देश के स्वाभिमान को,
हम फिर से आज जगाएँ।
गणतंत्र दिवस की ख़ुशियों का,
आओ मिलकर जश्न मनाएँ।
डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा' - इन्दौर (मध्यप्रदेश)