बादल मगन हो गए - नवगीत - अविनाश ब्यौहार

बरसता पानी ख़ूब,
बादल मगन हो गए।

हैं कर रहीं
लहरें उत्पात।
पावस की हुई
बहुत बिसात॥

उजड़ जाए है ऊब,
बादल मगन हो गए।

धरा हो गई
पानी-पानी।
मेघ लिख रहे
एक कहानी॥

घाट सभी गए डूब,
बादल मगन हो गए।

अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)

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