विपदा हरो माँ - गीत - रविंद्र दुबे 'बाबु'

शेर पे सवार, मेरी माँ शेरावाली,
पापियों का करे संहार, माँ शेरावाली।
पर्वत पर है राज करे माँ, 
झोली सभी की तू भर दे माँ।
आया हूँ तेरे द्वार, ओ माँ शेरावाली।
शेर पे सवार मेरी माँ शेरावाली,
पापियों का करे संहार, माँ शेरावाली।

सती पार्वती चंद्रघंटा तुम,
शैली काली से, असुर हुए गुम।
प्रेम भक्ति ही तुझे सुहाए,
शक्ति तेरी हर कोई जाने।
तेरे जैसा कोई नहीं, माँ शेरा वाली।
शेर पे सवार मेरी माँ शेरावाली,
पापियों का करे संहार, माँ शेरावाली।

सुना आँगन तुझको अर्पण,
धन दौलत की चाह नहीं अब।
क्या है पापी क्या अभिमानी,
तेरे दर पर शीश झुकाते।
मेरे मन को भी दे आराम, माँ शेरावाली।
शेर पे सवार मेरी माँ शेरावाली,
पापियों का करे संहार, माँ शेरावाली।

ज्योत जला के तुझे पुकारूँ,
मेरी विनती, बस यही माँगूँ।
मुश्किल विपदा मेरी हर ले,
घर आँगन का दीप जला दे।
जाऊँगा न खाली हाथ, माँ शेरावाली।
शेर पे सवार मेरी माँ शेरावाली,
पापियों का करे संहार, माँ शेरावाली।

रविन्द्र दुबे 'बाबु' - कोरबा (छत्तीसगढ़)

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