कुछ रिश्तों की डोर
कभी टूट न पाए
भाई-बहन के रिश्ते में
खटास कभी न आए
छोटी-छोटी ग़लतियाँ
जब भाई करता
माँ-बाप के ग़ुस्से का पारा
जब-जब चढ़ता
प्यारी बहना माँ बनकर
तब हमें बचाए
रक्षाबंधन के दिन
रोली चंदन चावल
की थाल सजाए
प्यारे भैया के माथे पर
तिलक लगाए
नाज़ुक रेशम की डोर को
कलाइयों पर बाँध
भाई-बहन के रिश्ते को
और अटूट बना जाए।
डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन' - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)