अमरेश सिंह भदौरिया - रायबरेली (उत्तर प्रदेश)
अख़बार वाला - कविता - अमरेश सिंह भदौरिया
बुधवार, फ़रवरी 16, 2022
सर्दियों की सुबह
घना कोहरा
कपकपाती ठण्ड
एक पुरानी साइकिल
जिसमें टँगा है एक थैला
उस थैले में है...
ज़िम्मेदारियों का बोझ
परिस्थितियों की जकड़न
जीने की उत्कट चाह
कामनाओं की विवशता
रिश्तों की मधुरता
पापी पेट की आग
मासूमों की ख़्वाहिश
नौनिहालों का उन्मुक्त बचपन
पथराई आँखों के सपने
दाम्पत्य के शुष्क अहसास
सम्बन्धों की संजीवनी
अन्तहीन संघर्ष
घर वापस जाने की विवशता
और...
सुबह का बचा हुआ अख़बार
जिसमें छपी हैं
दुनिया भर की ख़बरें
पर अफ़सोस
पारदर्शी मीडिया की नज़र में
उसका अपना कहीं नाम नहीं है।
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