कमाल करते हो तुम ही - ग़ज़ल - शमा परवीन

अरकान : फ़आल फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
तक़ती : 121  22  22  2

कमाल करते हो तुम ही,
सवाल करते हो तुम ही।

ख़यालो मे आकर अक्सर,
बवाल करते हो तुम ही।

निगाहों पे छा कर पल में,
मलाल करते हो तुम ही।

बहारो मे पतझड़ बन कर,
जलाल करते हो तुम ही।

शमा परवीन - बहराइच (उत्तर प्रदेश)

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