महेन्द्र 'अटकलपच्चू' - ललितपुर (उत्तर प्रदेश)
डाँट - संस्मरण - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'
बुधवार, जनवरी 05, 2022
मुझे याद है आज भी वो दिन जिस दिन मेरे पिताजी ने बुरी-बुरी गालियाँ देकर घर से निकल जाने को कहा था।
बेरोज़गार था काम-धाम करता नही था। ऊपर से पत्नी और दो बच्चों की जवाबदारी।
मन बहुत बैचेन था। सोच रहा था कि क्या करूँ?
सोचा कही बाहर जाकर मज़दूरी करके अपना और अपने बच्चों का पेट पालूँगा। पर कहाँ जाऊँ?
बड़े असमंजस में था मेरा मन। समझ ही नही आ रहा था कि आख़िर क्या हल होगा इस समस्या का।
जेब में फूटी कौड़ी भी नही थी और पिताजी ने कह दिया था जो करना हो करो मैं कुछ नहीं जानता।
पर परमेश्वर को कुछ और ही मंज़ूर था। उसके आगे किसकी चलती है? कहते है ऊपर वाला जो करे सो सब होय। हम मानव की क्या बिसात?
पड़ोसी ने बड़ी मुश्किल से 200 रुपए दिए। वो भी एक हफ़्ते में वापस करने का पक्का वादा किया जब।
आख़िरकार मैं पत्नी और बच्चों को छोड़कर घर से निकल ही पड़ा। शाम का समय था घर से एक फटा पुराना बैग जिसमे एक जोड़ी पुराने कपड़े और चार रोटी कपड़े की पोटली में थे। गाँव से 8 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क पर आया। सोचा था कि कोई वाहन मिल जाएगा तो कही चला जाऊँगा। बड़ी मुश्किल से एक ट्रक मिला उसमे बैठकर सागर रात 11 बजे पहुँचा।
जैसे-तैसे रात सागर में काटी, सुबह 6 बजे की बस पकड़ कर सीधा अपनी मंज़िल की ओर चल पड़ा।
आज 12 वर्ष हो गए मुड़कर नही देखा। बस आगे ही बढ़ता जा रहा हूँ। माता-पिता और पत्नी बच्चों का साथ भी है और जीवन भी आनंद से परिपूर्ण।
आज जब उस घटना को याद करता हूँ तो समझ आता है की माता-पिता की डाँट बच्चों के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद होती है। जीवन सँवार देती है। जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर देती है। आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर