अश्क - कविता - अर्चना कोहली

आँसुओं संग हमारा अजीब सा रिश्ता है,
ग़म हो या ख़ुशी बहने को बेताब रहता है।

दुख से जब दिल हमारा भारी हो जाता है,
तब आँसू ही शांत हमारा मन कर देता है।

अपार ख़ुशी जब जीवन में हमको मिलती,
तब खुशी व्यक्त करने को आँखें भर देती।

बेटी जब दुलहन बनकर घर से विदा होती,
तब अश्क बहाकर ही मन हल्का करती।

ज़िंदगी में जब अपना कोई बिछड़ जाता,
तो ज़िंदगी भर ग़म आँसू रूप में दे देता।

ख़ुशी हो या ग़म विभिन्न रूप ये दिखाता,
खोने-पाने की हर बात को बतला जाता।

ज़िंदगी में अश्क का हर रूप निराला होता,
कभी क्रंदन तो कभी उल्लास दिखलाता।

अर्चना कोहली - नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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