अभी समय है शेष तुम्हारा - कविता - राघवेंद्र सिंह

अभी समय है शेष तुम्हारा
त्यागो निद्रा जग जाओ।
लक्ष्य को करके निर्धारित
एक दिशा चुनो और लग जाओ।

हार मिले या जीत मिले 
जीवन में कभी तुम न रुकना।
संघर्ष भरे सुदृढ़ पथ पर 
तुम स्वयं के सम्मुख न झुकना। 

है एक परीक्षा यह जीवन 
तुम ही हो इसके प्रश्नपत्र।
स्वयं ही इसके हल बनकर 
निर्माण करो तुम कई प्रपत्र।

कितनी तुझमें है क्षमता
स्वयं ही अब पहचान करो।
ठहरा वक्त बदल जायेगा 
कुछ अलग तो अपना नाम करो।

अपनी हिम्मत को रख सम्मुख 
तुम आज कोई हुँकार भरो।
सुख हो या दुःख हो जीवन में 
तुम स्वयं उन्हें स्वीकार करो।

कर्तव्य तुम्हारा है इतना 
अब स्वयं पर ही विश्वास करो।
तुझसा है कहाँ कोई जीवन में 
यह निश्चित सफल प्रयास करो।

जो बीत गया न चिंता कर 
आगे क्या करना ठान लो अब।
है जीत तुम्हारी ही निश्चित 
इतनी सी बात मान लो अब।

राघवेन्द्र सिंह - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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