हे अष्ट भुजाओं वाली - कविता - गणपत लाल उदय

हे अष्ट भुजाओं वाली माँ अम्बे रानी,
माता आदिशक्ति कृपा करो भवानी।
इस सारे संसार को‌ आप ही चलाती
तुम्हारे अनेंक है रूप अनेंक कहानी।।

जब-जब डगमगाया ये क़दम हमारा,
तुमने ही उठाया एवं दिया है सहारा।
रास्तों के काँटे पल भर में ही हटाया,
नौ देवियों मे प्रसिद्ध नवरुप तुम्हारा।।

दरबार सजे माता नवरात्रि में तुम्हारे,
दर्शन को तरसे भक्त गण यहाँ सारे।
शेर असवार होकर आओ शेरावाली,
वक़्त की पुकार माँ भक्तगण पुकारें।।

हमें है भरोसा आपसे उम्मीद आशा,
सुख-समृद्धि एवं भंडार भरें रखना।
दुष्टों का संहार काली व दुर्गा करना,
अंधकार मिटाकर प्रकाश है करना।।

आज हिंसा चारों और यहाँ है फैली,
जगदम्बा महागौरी दुर्गे और काली।
शान्ति सुख-समृद्धि व बुद्धि दाहिनी,
कष्ट हरो ऊँचे पहाड़ो मे रहने ‌वाली।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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