आदर्श शिक्षक - बाल गीत - भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी'

जीवन भर जो सीखे बच्चों 
वो शिक्षक कहलाता है।

पढ़ता लिखता और सिखाता,
नवाचार वो करता है।
अपना धर्म सही निभा कर,
युग निर्माण करता है।
पदचिन्ह पर उसके चलकर,
अपना जीवन धन्य करो,
पा जाओगे अपनी मंज़िल,
कभी किसी नही डरो।
अंधकार को दूर भगा दे,
सही राह दिखलाता है,
जीवन भर जो सीखे बच्चों,
वह शिक्षक कहलाता है।।

बच्चों में ऐसे खो जाता,
फिर से जीता अपना बचपन।
खेल-कूद वो जम कर करता,
उम्र चाहे हो चालीस पचपन।
गीत कहानी और नाटक से,
बच्चों को वो देता ज्ञान।
गिनती पहाड़े ख़ूब रटाता,
बच्चों उसके कार्य महान।
जो रोते है नन्हे बालक,
धीरे से बहलाता है।
जीवन भर जो सीखे बच्चों,
वह शिक्षक कहलाता है।।

एमडीएम में उलझ गया वो
आनलाइन कक्षाओं में।
अपने मन की बात करे न,
उलझा इन्ही कलाओं में।
इंटरनेट ने बदल दी,
शिक्षा की परिभाषाएँ,
नई नई शिक्षण पद्धति से
शिक्षक सभी पढ़ाएँ।
आन लाइन सब पढ़ लो बच्चों,
धीरे से फुसलाता है।
जीवन भर जो सीखे बच्चों,
वह शिक्षक कहलाता है।।

शिक्षक अपना वट वृक्ष है,
बच्चे हैं शाखाएँ,
ज्ञान सरोवर इस बगिया में 
डुबकी सभी लगाएँ।
पा जाए सब अपनी मंज़िल,
शिक्षक सब ये चाहें,
चुन लेगें सब काँटें 
आसान करें सब राहें।
पथ प्रदर्शक बन कर बच्चों का,
कभी नहीं घबराता है।
जीवन भर जो सीखे बच्चों,
वह शिक्षक कहलाता है।।

भगवत पटेल 'मुल्क मंजरी' - जालौन (उत्तर प्रदेश)

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