बड़ी सुहानी लगती यादें,
प्रेम भरी मनभावन सी।
उर उमंग हिलोरे लेती,
झड़ी बरसते सावन सी।
सुख-दुख के मेंघ मँडराए,
यादें बस रह जाती है।
घड़ी घड़ी पल पल रहकर,
यादें पुरानी आती है।
हँसी ख़ुशी के सुंदर पल,
रह रहकर याद आते हैं।
जैसे बहती सरिता धारा,
किनारे रह जाते हैं।
गाँव की जब याद आए,
सुकून देती ठंडी बहार।
मन मयूर नाच उठता,
उर उमड़ता हर्ष अपार।
निर्भय रह स्वछंद घूमना,
जोश नया जगा देती।
पाठशाला की यादें भी,
बचपन की सैर करा देती।
उल्लास ख़ुशी घट उमड़े,
जीवन राह दिखाती है।
यादें बने ज्योति जीने की,
उन्नति पथ बतलाती है।
रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)