कि बादल बहुत आज छाए हुए हैं - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता

कि बादल बहुत आज छाए हुए हैं,
गली गाँव जल में समाए हुए हैं।

बतख मोर चातक पपीहा पखेरु,
धमाचौकड़ी सब मचाए हुए हैं।

खड़े नीम पीपल बकुल मौन बरगद, 
कई राज़ दिल में छिपाए हुए है।

हुई तितलियाँ फूल भौंरे दीवाने,
नज़र बदलियों पर टिकाए हुए हैं।

जगी मन में उम्मीद भरेंगे सरोवर,
परिंदें ख़ुशी से नहाए हुए हैं।

फुहारों से मौसम हुआ है सुहाना,
उन्हें याद कर अश्क आए हुए हैं।

नागेन्द्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)

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