राम नाम बचा कलयुग में,
जीने का एक सहारा।
इसके बिन व्यर्थ है जीवन,
चाहे वैभव हो सारा।
पौरुष, बाहुबल या साहस पर,
होता लोगो का अभिमान।
टूटता भ्रम जब उनका तो,
याद आते बस भगवान।
दया धर्म मर्यादा पालन से,
प्रभु ने दिया संदेश।
अपनाकर इसे दूर हो जाते,
सारे कष्ट और क्लेश।
होता नाम मात्र से ही,
सब विपत्तियों का नाश।
अन्त:करण निर्मल होते,
औ होता अटल विश्वास।
राम हैं करुणा के सागर,
अहिल्या-शबरी को दिया तार।
उनका भक्तों पर तरल स्नेह,
जानता अब तक है संसार।
जिनकी भक्ति से अमृत वर्षा,
जिनका पावन नाम है।
ऐसे प्रभु श्री रामचन्द्रजी को,
कोटि-कोटि प्रणाम है!!
प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)