मोरे मन मयूर स्वागत माधव,
प्रेम भक्ति दीवानी मीरा हूँ।
तेरे प्रेम पाश फँस छोड़ा जग,
जग लाज धरम सब छोड़ा है।
सिर मोर मुकुट हे पीताम्बर,
घनश्याम प्रीत मन छाया है।
अनुराग हृदय मोहन नटवर,
पुरुषार्थ भक्ति बन पाया है।
बिम्बाधर मुख मुस्कान मधुर,
बस, रोम रोम प्रभु भाया है।
प्रिय मुरधीधर नवरस सागर,
जीवन मधुमीत बनाया है।
चारुचन्द्र तन मृदुल वदन नभ,
भक्ति प्रीत पंख उड़ाया है।
बाजे मुरली संगीत मधुर,
आनंद मधुर मन छाया है।
मधुर प्रेम रंग रग रंजित मन,
मनमोहन प्रीति हर्षाई है।
मैं प्रेम पूजारिन प्रभु लला,
बैरागी तज घर आई हूँ।
हे कमलनयन बस अन्तर्मन,
हरि शृंगार प्रीत सजाई है।
अभिराम कृष्ण गोविन्द मधुर,
रसधार सरित बह पाया है।
मैं प्रेम दिवानी मतवाली,
बस प्रीति रीति रच पाई हूँ।
हे प्रिय वल्लभ राधा नागर,
बस प्रीत कृष्ण अपनाई हूँ।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली