कभी प्यार, कभी जंग है ज़िंदगी।
कभी हसीन कभी बे-रंग है ज़िंदगी।
बड़ी मुश्किल से मिलती है ये तो।
पल-पल रंग बदलती है ये तो।
कभी हँसाती कभी रुलाती ज़िंदगी।
सबको ये नाच नचाती ज़िंदगी।
कभी खोना और कभी पाना है।
ना इससे हमें कभी घबराना है।
जो इससे नहीं घबराया है यारों।
उसी ने मंज़िल को पाया है यारों।
जो शख़्स इससे घबराएगा।
सुनो बे-मौत वो मारा जाएगा।
डटकर इसका मुक़ाबला करो।
बे-मौत ना 'पंवार' तुम तो मरो।
समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)