तुम हो मेरे प्यारे भाई - कविता - सुनील धाकड

देख तुम्हें होता ख़ुश मैं,
मन होता प्रफुल्लित सा।
मेरे गम को हरदम भुलाया,
जग में तुमने नाम कमाया।
नाम तुम्हारा बड़ा प्यारा,
तुम्हारे नाम पर मैं इठलाया।
तुम में दिखती प्यारी परछाई,
तुम ही हो मेरे प्यारे भाई।

हो जाते ग़ुस्सा तुम बार-बार,
मुँह फुलाया तुमने कई बार।
प्यार छुपा है इस ग़ुस्से में,
यह तुमने महसूस कराया।
तुमने मेरी शान बढाई,
तुम ही हो मेरे प्यारे भाई।

खेलता कूदता साथ तुम्हारे,
और झगड़ता साथ तुम्हारे।
रूठ जाता जब में तुमसे,
तुम ही तो मुझे मनाते।
भा गई तुम्हारी यह अच्छाई,
तुम ही हो मेरे प्यारे भाई।

जब होता मायूस मैं,
तुम ही तो मुझे समझाते।
छोटे हो पर बड़े समझदार,
निभाए तुमने कई किरदार।
तुम से मैंने पाई बड़ाई
तुम ही हो मेरे प्यारे भाई।

सर ऊँचा कर देते मेरा तुम,
कर्तव्य निभाते हरदम तुम।
नाम से मैं इतराता तुम्हारे,
प्रेम भरा है हृदय तुम्हारे।
मम्मी ने कई बार मार लगाई,
तुम ही हो मेरे प्यारे भाई।


सुनील धाकड - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)

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