चाँद तारे अंबर को
लगते बहुत प्यारे।
ख़्वाब ज्यों इत्र के
सरोवर में नहाए।
पहाड़ पर चरवाहा
बाँसुरी बजाए।।
सुगंध से विवाह रचे
फूल हैं कुँआरे।
झगड़े सास-बहू के
रोज़-रोज़ होते हैं।
अक्सर तनाव को
रिश्तों में बोते हैं।।
बेटे अपने बाप से हैं
हो रहे न्यारे।
राहगीर को छाया
देते वट देखे।
जो खुद रह जाएँ प्यासे
वो घट देखे।।
कितने तीसमारखाँ
मासूमों से हारे।
अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)