जल का महत्व - कविता - कवि सुदामा दुबे

जल से ही पैदा होते हैं
अंत काल जल जाते है,
जल से ही संबंध है सारे
जल से रिश्ते नाते है।

गीता रामायण मे मिलती
महिमा इसकी मिले पुराण,
करते भूरि भूरि प्रशंसा
वेद चार गुण गाते है।

गाँव नगर वीराने बस्ती
चाहत हर सू है इसकी,
जल से ही है दिवस सुहाना
और रसीली रातें है।

पुष्प पल्लवित होते इससे
तरू शाख और वेल लता,
शाक अन्न फल फूल सब्जियाँ
जल से ही तो खाते है।

इसके तट पर सदा सभ्यता
मानव की उत्कर्ष हुई,
रीति रिवाजों तीज त्यौहारों में
घट दर्शन इसके आते है।

कवि सुदामा दुबे - सीहोर (मध्यप्रदेश)

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