नव संवत्सर आ गया, लेकर नव उत्कर्ष।
मंगलमय हो शुभ सदा, भारतीय नव वर्ष।।
फसलें सुख समृद्धि का, गातीं मधुरिम गान।
भरे अन्न भण्डार अब, प्रमुदित हुये किसान।।
ऋतु पावन मंगलमयी, सुखद चैत्र शुभ मास।
कोयल गाती गीत मधु, जन-जन में उल्लास।।
नव दुर्गा नव रात्रि शुभ, माँ के शुभ नौ रूप।
करते जग कल्याण ये, महिमा अमित अनूप।।
भक्तों के कल्याण हित, प्रभु धारे नर रूप।
अवध धाम में आ बने, प्रभु भूपों के भूप।।
देवि महोत्सव शुभ घड़ी, नव संवत्सर पर्व।
भारतीय नव वर्ष पर, हम सबको है गर्व।।
हे नव दुर्गा देवि माँ, दुख काटो तत्काल।
दानव बनकर है खड़ा, कोरोना बिकराल।।
माँ विनती कर जोर कर, हर लो सभी विकार।
निज पुत्रों का माँ करो, सभी तरह उपकार।।
सुख, वैभव, समृद्धि का, लेकर के संदेश।
नव संवत्सर आ गया, विकसित हो निज देश।।
श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल" - लहार, भिण्ड (मध्यप्रदेश)