मंगलमय नव वर्ष रहे - गीत - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"

रजत रबी रंजित फसलों से,
घर-आँगन है भरा-भरा।
सूर्य-धरा की समीपता से,
मलिन बदन भी हरा-हरा।
मंजरियों से लदे आम्र में,
नव कोंपल उत्कर्ष रहे।
मंगलमय नव वर्ष रहे।।

वर्षा-जाड़ा से उत्तम ऋतु,
चैत्र मास में आई है।
दीन-दुखी का तरुवर नीचे,
भी जीवन सुखदाई है।
सकल सृष्टि के सचराचर में,
कहीं न कलुष अमर्ष रहे।
मंगलमय नव वर्ष रहे।।

मातृ शक्तियाँ पूजी जातीं,
घर-घर होता आराधन।
सभी सुखी हों, सभी निरोगी,
सभी हाथ समुचित साधन।
विक्रम संवत बीस अठत्तर,
हर दिल में बन हर्ष रहे।
मंगलमय नव वर्ष रहे।।

डॉ. अवधेश कुमार अवध - गुवाहाटी (असम)

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