आ के तुने ये जीवन फिर से दिला दिया।।
परियो ने जैसे आकर अमृत पिला दिया।।
मख़मली हाथो से जब छूआ, उसने मुझे,
लगा ऐसे अंदर तक मुझको हिला दिया।।
दरबदर भटकता रहा जुस्तजू मे मैं तेरी,
इक झुमके ने तेरे मुझको यूँ मिला दिया।।
गजरा क्या गिराया तुमने, यूँ राहों में मेरी,
लगा हयात को, गुलाब सा खिला दिया।।
ख़ुद को भूला दिया था मैने यादो मे तेरी,
अँखियों ने तेरी मुझको मध पिला दिया,
क़ाबिल न था ये "जैदि" उल्फ़त का तेरी,
कर के इक़रार तुने प्यार का सिला दिया।।
एल. सी. जैदिया "जैदि" - बीकानेर (राजस्थान)