(३)
भारत पर आक्रमण, किया तुर्कों ने भारी।
था शातिर महमूद, गजनबी अत्याचारी।
था अतिशय शैतान, मुहम्मद गौरी पातक।
कुतुबुद्दीन गुलाम, बने दिल्ली के शासक।
फिर आया तैमूर, भूमि भारत दहलाया।
दिल्ली अरु कश्मीर, दिन-रैन था थर्राया।
ठीक इसी के बाद, मचाया बाबर आफ़त।
देश किया बर्बाद, बढ़ाकर अपनी ताकत।
तड़पा भारतवर्ष, निरंतर इनके कारण।
चला खूब संघर्ष, मगर नहीं मिला तारण।
मार-काट अनवरत, चलाए पापी शासक।
यह देश हुआ सतत, इन्हीं के कारण आहत।
हिंसा अत्याचार, रहा भारत में जारी।
पीड़ा सहे अपार, देश के नर अरु नारी।
उनके शातिर चाल, किया भारत को खंडित।
भारतीय तत्काल, हुए थे नित्य प्रताड़ित।
भूलो नहीं अतीत, मूर्ख! हे भारतवासी।
रखो बनाए प्रीत, बने मत रहो उदासी।
बड़े भाग्य के बाद, हम सभी एक हुए हैं।
भारत को आबाद, करेंगे वचन दिए हैं।
आगे बढ़ो सुवीर, भूल शिकवे व शिकायत।
मन में है विश्वास, बढ़ेगा आगे भारत।।
डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी" - गिरिडीह (झारखण्ड)