देश के रक्षक देश की शान,
है अपने ये सैनिक महान।
इनके बल पर अपनी चैन,
इनके ही भरोसे है दिन रैन।
कोई कितना ऊँचा हो जाए।
इनतक कोई पहुँच न पाए।
मन्दिर मस्जिद या गुरूद्वारे,
सबकी रक्षा में जान ये वारे।
इनका धर्म बस केवल एक,
मातृभूमि की रक्षा का नेक।
वीर सपूत ये महान है माता,
तुलना है न कोई कर पाता।
धन्य धरा के तुम धन्य सपूत,
तुम पर बलिहारी लाखों पूत।
डॉ. सरला सिंह 'स्निग्धा' - दिल्ली