यौवन की रोशनी में
तेरे मन का दर्पण
विश्वास जताया है
मेरे एहसास पर।
अगर सजा दे, अपने रंगों को
मेरे भावनाओं की तुलिका
तेरे चेहरे के कैनवास पर, और-
चढ़ा दें एक मधुर रस, प्यार
जीवन के अनेक रसों से निकाल
तेरे जिस्म की मखमली लिबास पे
तो, तुझपे ये चढ़ती तरुणाई
खुशबु भरी लहरों में
बहा ले जायेगी मेरे मन को, और
क़ैद कर लेगी अपने वश में
प्रकृति की सारी सुंदरता को।
पारो शैवलिनी - चितरंजन (पश्चिम बंगाल)